( बोर होते हुए मुझमे और उस कौए मे क्या फर्क है,कोई तो बताए?)
बारिश में बोर होते हुआ कौआ
बोर होता है कौवा, बैठा है डाली पर
देखता है आसमान को, उड़ते हुए पंछी पर
काला है रंग उसका, काली है चोंच उसकी
कोई नहीं देता ध्यान, कोई नहीं देता सोच उसकी
बोर होता है कौवा, भूखा है पेट उसका
ढूंढता है भोजन को, फेंके हुए कूड़े में
कभी रोटी का टुकड़ा, कभी फल का छिलका
कोई नहीं देता भोग, कोई नहीं देता दिलका
बोर होता है कौवा, अकेला है दिल उसका
ढूंढता है साथी को, चहकते हुए चिड़ियों में
कभी मैना की बोली, कभी बुलबुल का गीत
कोई नहीं देता साथ, कोई नहीं देता प्रीत
बोर होता है कौवा, लेकिन नहीं हारता है
जीता है वो अपने लिए, जीता है वो अपनी तरह
काला है रंग उसका, काली है चोंच उसकी
कोई नहीं देता ध्यान, कोई नहीं देता सोच उसकी
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