वो सच्ची सखी मेरी
समर्पित है मुझे पूर्णरूपेण
मेरी हसी का हिस्सा वो
उमर उलझ पगडंडी.. हमराही का किस्सा वो
मैं उसके चाय की चुस्की🫣
वो मेरी दोपहर की झपकी🥱
गम हो तो पकड़े जाने के डर से उससे छुपती हूं मैं क्योंकि
मेरे हंसते हुए चेहरे के पीछे की उदासी जानने में माहिर है वो
और खुशी हो तो खिल जाती है वो मुझे देख कर...थोड़ा ज्यादा🤗
पर मान लो..... कुछ भी कहो
हम दोनो का दिमाग मिला लो फिर भी होगा बस आधा😒
मां से कुछ कम पर सखी से थोड़ा ज्यादा ख्याल रखती है
मैं बहुत खास हूं उसकी जिंदगी में
कहती नहीं वो कभी
पर हर वक्त मुझे अहसास करवाती है😌
बाते करते करते कई दफा हम चांद तक पहुंच जाते हैं पर
एक दूसरे की टांग खींच जल्दी ही धरा पर लौट आते है 🤭
मैं अपने सारे राज उसके अधपके दिमाग में सहेज कर भूल जाती हूं
तिजोरी है मेरी वो जिसे बस मैं अपने पासवर्ड से खोल पाती हूं।😍
ArUu💫✍️