Hindi Quote in Poem by van

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जब छुआ तुमने
दुपट्टे की ओट से..
हो गई थीं मैं
परिजात सी पावन..!
गिरने न दिया था
धरा पर अश्रु मेरे
चांदनी बिखरी थीं
उस पल मेरे आंगन..!
अब क्यों ऐसे
चंद्रमा की चित्तियो से
मेरे मन की पावनी
उन चिट्ठियों से
कर रहे परछाइयों से
मन ये घायल..!
टूटे स्वप्नों को
अंधेरी कोठरी में
नृत्य की झंकार
खोकर रोई पायल.!!!
~vandana rai ✍🏻

Hindi Poem by van : 111946746
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