समय के पन्नों पर लिखना है अफसाना,
किसी राह से, किसी मोड़ पे आगे है गुजरना।
लिखनी है हमें ज़िन्दगी की रवानी,
कहीं आहें हैं, कहीं चाहें—बस यही है कहानी।
समय के साथ चलने में कोई उलझन तो नहीं है,
कोई राह कोई साथ मुक्कमल नहीं है।
कभी-कभी ज़िन्दगी ऐसे उलझा देती है,
समय के साथ बहते रहो , कोई उलझन नहीं है ।