रिश्ते
ना पहले जैसा प्यार रहा,,
ना पहले जैसी यारियां।
ख़ून का रंग भी फीका पड़ गया,,
बस मतलब की जिंदा साझेदारियां।
भाई भाई भी मेहमान हैं एक दूसरे के,,
यह समय ने कैसा रंग दिखाया है।
बदल गया हम रिश्ता यारों,,
जब से कलयुग आया है।
इन रिश्तों के भी अजीब ही नखरें हैं,,
जब मन किया रूठ जाते हैं।
ना जाने क्यों भर जाता है दिल,,
फिर हाथ से छूट जाते हैं।
जब तक चुप रहो,,
रिश्ते भी सुलझे रहते हैं।
जिस दिन सूना दिया ज़रा सा,,
उसी दिन से उलझे रहते हैं।
निभायें अगर कोई शिद्दत से,,
यह रिश्ते सिर का ताज है।
याद रखना जिंदगी भर,,
रिश्ते मौके के नहीं,, भरोसे के मोहताज है ।
महकते रहे रिश्ते उम्र भर,,
इस लिए रिश्तों में बात जरूरी हैं।
दिल से दिल की सांझ बने,
इस लिए कभी कभी एक मुलाकात जरूरी हैं।
कभी चोट लग जाए अगर रिश्तों में,,
आगे बढ़कर मरहम लगाइए ।
जरूरत पड़े अगर रिश्तों की खातिर,,
हक से दो थप्पड़ भी लगाइए ।
ख्वाहिशों से भरे पड़े हैं दिल सबके,,
इस लिए रिश्ते थोड़ी सी जगह के लिए तरसते हैं।
रिश्तों में साझेदारियां तो एक ख्वाब हैं,,
सबके दिलों में जलन के बीज पनपते हैं।
✍️✍️✍️परम 🌹💚