हे भगवान तुम्हें रट लूँ तो


हे भगवान तुम्हें रट लूँ तो
रट कर तुम्हें रख लूँ तो,
राम तुम्हीं, श्याम तुम्हीं
महिमा थोड़ी भज लूँ तो।

उदय यहीं, अस्त यहीं
लक्ष्य कहीं रख लूँ तो,
प्रकाश यहीं, अंधकार यहीं
पथ का पता पूछूँ तो।

प्राण यहीं, परिवार यहीं
प्राणों का भय साकार यहीं,
अभय यहीं, पथ प्रशस्थ यहीं
वलिदानों का इतिहास यहीं।

श्याम कहूँ या भगवान कहूँ
प्रिय के अन्दर रह लूँ तो,
धूप रहे या छाँव रहे
प्रिय के अन्दर सज लूँ तो।

नाम यहीं, विराट यहीं
महाभारत के अध्याय यहीं,
न्याय यहीं, अन्याय यहीं
मानव का विस्तृत ज्ञान यहीं।
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* महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111943098
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