सोचा रहा कि कुछ वक्त निकालूं अपने लिए,
पर वक्त के पास वक्त नहीं मेरे लिए।

दौड़ता रहा मैं जिन्दगी की इस दौड़ में,
हर मोड़ पे देखा, अकेला खड़ा हूँ मैं।

ख्वाबों की राहों में भटकता रहा,
सपनों की दुनिया में खोता रहा।

कभी सोचा था कि वक्त मेरा होगा,
पर हकीकत ने हर बार मुझे ठगा।

अब सोचता हूँ, वक्त की परवाह न करूं,
अपने दिल की सुनूं, अपनी राह पर चलूं।

Hindi Poem by Naranji Jadeja : 111942056
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