मुख पर स्मित, आँखों मे तेज, हाथ मे बासुरी,
शीश पर मोरपंख, उँगली मे सुदर्शन धारी,
लिलाओ से रची दुनिया मे एक तु
ही अलंकारी।
पुंजन किये पर्वत का, सिख दे रहे इष्ट देव के जन्म के सार की,
मेघ बर्षा बूँद बूँदे मे एक जीने की आश गोकुल धाम की आरी।
जब हुई ज्यादा वर्षा तब सोच ना पाया कोई,
एक उँगली पर उठाया पर्वत तब दिखी लीला न्यारी।
धर्म से विरुद्ध ना हो कोई कर्म तेरा,
पार्थ के सार्थि जैसा ना कोई संग तेरा।
हस्त पर ना सस्त्र है, ले चले गोड़े की सवारी,
हस्ते हुवे लड़ रहे अपनो ,से ये मेरे जगन्नाथ है जय मुरली धारी...
jay jagannath 🙏🙏🙏🙏🙏