1- “ये दिन जो इतने उदास हैं”
क्यों मिलता कहीं न चैन है
ये पता नहीं दिन या रैन है
ये धूल- धूसरित पथरीले रस्ते
पनियाई आँखों में आंसू हँसते
अब भी जाने किसकी आस है ?
ये दिन जो इतने उदास हैं,
कोई हूक सी जो रहती है उठती
कोई पीर आत्मा है क्यों सहती
कोई राह न मिलती इससे निजात की
तुमने कभी न इस पर कोई बात की
क्यों इतना तुम्हे अविश्वास है ?
ये दिन जो इतने उदास हैं,
तुमने चुनी आखिर इक नई राह
कभी वहाँ तक न पहुंचे शायद मेरी आह
मेरा समर्पण भी न ले सका तेरे मन की थाह
अब शायद हो पूरी तुम्हारे मन की चाह
जो भी तुमने चुना क्या वो खास है ?
ये दिन जो इतने उदास हैं
तेरे प्रेम में मैंने सब कुछ खोया,
तुम्हे अंदाजा भी है मैं कितना रोया,
ये समय का था कैसा क्रूर छल,
जीने का मेरे न रहा अब कोई संबल
सिर्फ वेदना का ही मन में वास है
ये दिन जो इतने उदास हैं,
न जाने कब छंटेगी ये दुख की बदली
अब बची कोई उम्मीद भी अगली
तेरा मोह -नेह कभी क्या मुझसे छूटेगा ?
या यूं ही तपते -दहते जीवन बीतेगा
यही प्रेम का अंतहीन वनवास है
ये दिन जो इतने उदास हैं ।।
समाप्त
कृते -दिलीप कुमार