पंछी
1_मैं और तुम एक पंछी सुंदर ।
उड़ते फिरते हम डाल-डाल पर ।
सुन सखी एक बात है कहना।
बहुत ध्यान से सब कुछ सुनना।
पेड़ की छांव का कहाँ ठिकाना।
मिले नहीं ठीक से पानी -दाना।
जल थल नभ में हुआ प्रदूषण ,
दूभर हो गया है सबका जीवन ।
मानव अभी यदि समझ जाए,
प्रकृति खुश हो ,हम भी मुस्काएं।
डॉअमृता शुक्ला