....एक बात ऐसे होती की,
हम जो शब्द बोलते है,
इनको महत्व तब ही प्राप्त हो सकेगा,
जब ये किसी के मन का जो भार होगा ,
उसे हल्का कर पाए।
व्यक्तिगत तरीके से देखा जाए तो ,
हर कोई अपनी जीवन रेखा को खींच रहा है।
कोई किसी को कुछ देता नही है ,और न लेता है।
मगर किसी को आश्वस्त करने हेतु उपयोग में लाए गई शाब्दिक श्रृंखलाएं उसे कुछ हद तक अच्छा महसूस करवाते है।
या कहे तो उनके मन में उमंग के पलों को निर्मिती हो सकती है।
और ऐसे व्यक्ति हर किसी के जीवन में शामिल हो।
क्या लगता है ...आपको..?
कमेंट में जरूर बता सकते है।