भोलेनाथ, करूणानिधान शिवम् सुंदरम।
कंठे रुद्राक्ष ,सापो की माला शोभित सुंदरम।।
शिर गंगा धारा वहे ,चन्द्र बिराजे सुंदरम।
डम डम डमरू, त्रिशूल संग शोभे सुंदरम।।
त्रिनेत्र, त्रिकाल ज्ञानी , त्रिभुवन नाथ सुंदरम।
शक्ति के भक्ति, प्रेम बंधन का प्याला पिया सुंदरम।।
आज बने शिव और शक्ति एक दूसरे के सुंदरम।
आज पार्वती मा ने पाया सत्यम शिवम् सुंदरम।।