नमामि गंगे
गंगा की बात क्या करू गंगा है उदास!!
न अब वो रंगरूप है न वो मिठास!!!
गंगाजल का जल नहीं अब गंगा के पास!!
केवल नदी नहीं है वो,संस्कार है गंगा!!
धर्म जाति देश की पहचान और शृंगार है गंगा!!
जो कुछ भी हो रहा है गंगा के साथ!!
हम सबका हाथ है!!!!
इशलिए आज हम सबको हाथ मिलाना है!!
गंगा को करना साफ़ है!!
हम चले हिंदुस्तान चले इस नई डगर पे,
तो हम गंगा का सुनहरा रूप देख पायेंगे!!
फिर वही गंगा देश में खुशियाली लायेंगी!!
देश की ऐसी होंगी पहेचान!!
गंगा होगी फिर भाग्यवान!!!!
- महेन्दर
-- mahendrakumar