एक ऐसा दिन। पीला गेहरा आसमान धुंधला धुंधला सा दिखाई पड़ता। ऐसा मालूम होता जैसे हर जगह अंधेरा छाया हो हलका हल्का साथ में पीलापन था। ना दिन मालूम होता ना रात पर इतना पक्का था की दिन का समय था। चारो तरफ मायूसी का कहर छाया था उस दिन वो रात जैसा मालूम होता दिन रो रहा था। यूंही समझ कुछ आ ना रहा था सोचूं कहा फंस गई हू। ह्रदय में छोटे लग रही थी जैसे कुछ भूल गए हो जिसे याद करने के लिए मुझे यहां ला कै रख दिया। तभी मुझे दिखा एक दरवाजा जिसके अंदर अचानक से कोई जाता हुआ दिखा ओर में बाहर ये सब देख रही थी। फिर भीतर मुझे दिखा जैसे गाए बझड़े बंधे हो । अभी नजर घुमाई ही थी कि मेरे सामने एक विशाल काए भैंस बैठी थी बहुत बड़ी जितना आप सोच भी ना पाए। फिर क्या था कोई पागल ही होगा जो जानवरो एसे बात जैसे कोई सामने मानव हो में वही पागल थी
मैने कहा जो कहने का कोई कारण नहीं था मैने भैंस से सवाल पूछते हुए बोला क्या आपकी दुनिया एसी ही रहती है बिलकुल पीली और अंधेरी जब दिन में ऐसा है तो रात को क्या ही कह सकते है। मुझे लगता है आपका जन्म सबसे निचले स्तर की दुनिया में हुआ है । मेरी दुनिया तो काफी अच्छी है रोशनी और सितारों से भरी चहकती हूई । पता नही मैने ये सारे शब्द कैसे कह दिए अब होना क्या था मुझे मेरा जवाब मिल गया । आश्चर्य कोई भैंस क्या बोल सकती हैं तो सुनिए वो भैंस उठ खड़ी हो गई और मेरी तरफ देखते हुऐ बोली। !!हां तुम ठीक कह रही हो!! ओर एक जगह शांति से मुझे घूरने लगी।
ये सब्द सुन कै मुझे ठंड सी लगने लग गई और एक अलग सा डर ।बस होना क्या था मेरी आंखे खुल गई सुबह का समय था मेरा दिल जोरो सै धड़क रहा था । पर अच्छा भी लग रहा था जैसे कोई अटका हुआ काम पूरा हो गया वो सुबह बाकी कि सुब्हो से काफी अलग थी और एक प्रेम पूर्ण शांति दिल में पैर पसार चुका थी। एसी सुबह मैने आज तक न देखी थी न किसी से लड़ने का ना ऊंची आवाज में कुछ कहने का मन बस प्रेम हो गया पर पता नही किस से । सायद उस अपर वाले से प्रेम जाग उठा एक रात कै बाद ।
मेरे मन में अभी भी ये खयाल आता है क्या में उस रात एक दुनिया में थी क्या एसी दुनियाएं हो सकती जहा एक फंस जाओ तो मुक्ति मुमकिन नहीं ।
ये हकीकत सपना मेरा ही था ।
धन्याद!!
मेरे अजीब सी अनसुलझे सपने को समय देने कै लिए।💗