"बदलाव है मनोदशा की "
ये लोक है जहा कही मिला सही
ये क्षण भरी रात है धुआं भरा खाक है
बदल रहे है लोग ,संभल रहे हैं लोग
कदम सही ,तुला सही , वैराग्य है , वेआग है
नही रहा तो क्या हुआ ,किताबे हैं सही वही
वो रास्ता दिखा सही ,कभी तो मिला सही
बदलाव दिखा सही ।।
वो भूत में प्रथा सही ,यथा ही वैराग्य
वो संत की वाणी में , सभ्य की नारी में
विचारो की माला है अज्ञान ही छाला है
आहिस्ता से बढ़ रहे वो काल की याद में
सुधार में अशक्त,विचारो में विलुप्त में ।।
वो भेड़ सी चाल में , शने सने चल रहे
बिना किसी विचार के ,बिना किसी आधार के
मनोदशा बदल रही ,विचार ही अशक्त है
मनोवृति प्रधान है वो नीर ही जान है
बेजोड़ सी गति रही
बेजोड़ सा पवन रहा
यही तो प्रधान है यही तो प्रमुख है
सने सने बदल रहे , मनोदशा विचार में
बदल रहे विचारों में ,बदल रहे व्यवहार में ।।