भजन कर भजन कर नित नाम
समय वह्याॆ
जाय तुनॆ शरम ना आवॆ,,,
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तॆज का तॆज है नुर का नुर है
प्रॆम नी ज्यॆात काॆ पुरण पावॆ,,,
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सब्द का दॆह है सुरत कर समरणी
पुर्व ना पुय्ण कॆाइ पुरुष पावॆ,,,
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सदगुरु सबद मा रह्यॆा लवलीन ताॆ
आठॆ पॆार आनंद पावॆ,,,
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त्रीवीधता निकट आवॆ नहि
करॆ जमजाॆर तॆा लात खावॆ,,,
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दास सवा नॆ स्वामी फुलगरजी मळ्या चरण प्रताप थी गुण गावॆ,,,
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ऎम दास सवा नॆ सदगुरु मळ्या
निस दिन नुर मा नुर लावॆ,,,