#Empathy

आँखों में देखो, दिल से समझो,
इंसानियत की भावना, रूह में बसा लो।
दर्द का इज़हार, मुस्कान के पार,
समझदारी की बातें, सबको सिखा लो।
दूरियों को मिटाओ, दिलों को जोड़ो,
साथी बनो सबके, एक दूसरे से मिला लो।
भावनाओं का सागर, भरे बहुत सारा,
इंसानियत का रंग, सब पर छाया हो।
समझदारी की कहानी, एक नए सवेरे की,
इम्पैथी का पर्व, सब मिलकर मनाओं।

Hindi Poem by बैरागी दिलीप दास : 111906557
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now