इक वो थी।
जिसकी अब तलाश है।
जब थी तब फर्क न था।
अब मिलने की बस आश है। ।
इक वो थी।
जिसकी वर्षो से तलाश है।
ऐसा न था।
की यू बिछड़े जाएंगे हम।
न कभी ऐसा सोचा था।
धुधिली सी छबि है आखों में।
और उस चहेरे की तलाश है।
दुबारा कब मिलेगे।
बस इक बार मिलने की आश है।
अजीब थी उसकी अदाएं।
और उन अदाओं।
की अब प्यास है।
तुम अब कब मिलोगी।
बस इक बार मिलने की अब आश।
writer: D Devendra