चूप रहें जहां वहां, बोलना जरूरी था।
कड़वे सच को कर उजागर, खोलना जरूरी था।
ऐसा क्या कि पूरा जीवन,देते रहे इम्तिहान,
सम्मान किसीको देने से पहले, तोलना जरूरी था!
रूखा रवैया, रूखी भावना, क्यों झेले हम ही?
एहसास के अल्फाज़ो को थोड़ा, टटोलना ज़रूरी था।
नशा एसे कैसे हो जाए सिर्फ पीकर जाम को?
दोस्त मेरी मृग तृष्णा को जरा, घोलना जरूरी था!
कौन मानेगा भला कि मैं नशे में लिखती हूं!
थोड़ी सी 'मीरां' कलम का मचलना, डोलना जरूरी था!
©️ जागृति मीरां 'मीरां'...