लो, चलो मान लिया, तुम सही मै गलत,
लो, मै हारी तुम जीते, अब तलक।
बोलना अब कुछ नही, चुप्पी ही ठीक है,
मै नीचे ज़मी पर ही सही, तुम घूमो पूरा खलक!
देख लो, हसीन हसीं, जो है चेहरे पर चिपकी,
आंखो से भी कह दिया है, मत जाना छलक।
हौसलाअफजाई अब मै खुद ही कर लेती हुं,
तेरे न होने की खल रही है कमी, हो रही है कसक!
जज्बात कोई अब कभी कहीं, न आयेंगे नजर,
मीरां की ऐ चाहत, न बनना तुम बेगैरत!
જાગૃતિ, 'ઝંખના મીરાં'..