सुनो,
जब तुम लाल जोड़े में गहनों से लदी,
हमारे घर आना,
तो अपने संग ढेर सारा दहेज लेकर आना,
एक बैग में अपने सारे खिलौने रखना,
तो दूजे में अपनी किताबें,
तीजे में अपने सब सपने संजो कर लाना,
सुनो जब तुम हमारे घर आना ना,
बचपन की खट्टी मीठी यादें,
अपना बचपना,
अपना अल्हड़पन,
और अपनी सारी कहानी ले आना,
जब हम थक कर चूर,
हाथ में चाय का कप लिए,
किसी सुहानी शाम,
छत पर बैठेंगे,
तो उन किस्सों को,
दोहराएंगे,
उन यादों को परत दर परत खोलेंगे,
और कुछ बातों पर मुस्कुराएंगे,
तो कुछ पर दिल खोल कर हसेंगे,
सुनो जब तुम हमारे घर आना ना,
तो खाली हाथ मत आना,
अपने संग अपना हिस्सा भी संग लाना......