तुम्हारा कुछ सामान..
हम दोनो के बीच पड़ी तुम्हारी ये पुरानी किताब
नाम से तो किसी बड़े इंशा-पर्दाज़
की मालूम पड़ती हैं।
मगर उस से मेरा क्या वास्ता में तो बस उसे
किताब ए मोहोब्बत नाम देती हूं।
जिसके पन्नो के बीच कैद है कई पुराने रोमानी खत।
कई सूखे गुलाब और कई पोशीदा एहसास...