Hindi Quote in Religious by Vaibhaav Bhardwaaj

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महाकुण्डलिनी क्या है | इड़ा पिंगला और सुषुम्ना क्या है | what is ida pingala and sushumna

महाकुण्डलिनी क्या है | इड़ा पिंगला और सुषुम्ना क्या है | what is ida pingala and sushumna


कुण्डलिनी शक्तियोग के लिए गहनतम अध्ययन की आवश्यकता है । योगशास्त्र में जो अनेक गूढ़ विषय हैं, उनमें 'कुण्डलिनी शक्तियोग' गूढ़तम विषय है । प्राचीन समय में जिन सिद्ध पुरुषों को कुण्डलिनी शक्ति की जैसी अनुभूति हुई वैसा ही उन्होंने उसका वर्णन किया है ।

समष्टि-सृष्टि की कुण्डलिनी को महाकुण्डलिनी कहते हैं और उसी को व्यष्टि (व्यक्ति) में व्यक्त होने पर कुण्डलिनी कहते हैं । सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का जो संचालन करती है वह अव्यक्त कुण्डलिनी है और व्यष्टि रूप जीव को चलाने वाली व्यक्त कुण्डलिनी है, ब्रह्माण्ड में जो है वही पिण्ड में है।

निष्कर्ष यह है कि यह मनुष्य शरीर पिण्डाण्ड विशाल ब्रह्माण्ड की प्रतिमूर्ति है और साथ ही जितनी शक्तियाँ इस विश्व का परिचालन करती हैं वे सब इस नर-देह में विद्यमान हैं ।

मनुष्य के धड़ में बीचो-बीच रीढ़ की हड्डी होती है । यह रीढ़ की हड्डी (मेरुदण्ड) तैंतीस अस्थि-खण्डों (कशेरुकाएँ) के जुटने से बनी हुई है । भीतर से यह खोखला है । इसका नीचे का भाग नुकीला होता है । नुकीले स्थान के आसपास के भाग को 'त्रिकास्थि' (कन्द) कहते हैं और इसी कन्द में जगत् की आधार-महाशक्ति की प्रतिमूर्ति कुण्डलिनी का निवास कहा गया है ।


इड़ा पिंगला और सुषुम्ना
इस शरीर में बहत्तर हजार नाड़ियों (प्राचीन ज्ञान के आधार पर) की स्थिति कही गयी है । इनमें से तीन नाड़ियाँ प्रधान हैं - इड़ा, पिंगला, और सुषुम्णा । इड़ा नाड़ी मेरुदण्ड के बाहर (कशेरुका दण्ड) के बाई ओर से और पिंगला दाहिनीं ओर से लिपटी हुई है । सुषुम्णा (रज्जु कशेरुक-दण्ड) के भीतर त्रिकास्थि से प्रारम्भ होकर कपाल में स्थित सहस्रदलकमल (प्रमस्तिष्क) तक जाती है । जिस प्रकार केले के तने में बाहर से अन्दर की ओर परतें होती है उसी प्रकार इस सुषुम्णा नाड़ी के भीतर भी क्रमशः वज्रा, चित्रिणी तथा ब्रह्मनाड़ी हैं ।

योग-क्रियाओं द्वारा जाग्रत कुण्डलिनी शक्ति ब्रह्मनाड़ी के द्वारा कपाल में स्थित ब्रह्मरन्ध्र तक (जिस स्थान पर खोपड़ी की विभिन्न हड्डियाँ एक स्थान पर मिलती हैं और जिसके ऊपर शिखा पर (बालों की चोटी रखी जाती है) जाकर पुन: लौट आती है ।

Hindi Religious by Vaibhaav Bhardwaaj : 111887040
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