जब मैं रो रहा होऊं
तो तुम मेरे आँसूं देख
अपने आपको उदास न करना
न पोंछना मेरे अश्रू
बस...
तुम मेरे दिल पर हाथ रखना
धड़कनों का शोर सुनना
मेरी कांपती जिव्हा का प्रलाप सुनना
मेरे रोयें रोयें की कम्पन महसूस करना
तुम मेरी कनपटी के पास
चुह आये पसीने की गर्मी
महसूस करना
तुम मेरे दर्द से भरे होंठों को
बेबसी से
विकृत न होने देने के
संघर्ष को समझना
मेरे भर्राए गले में दबी हुई
चीख को सुनना, समझना
यदि ये सब
तुम महसूस न कर सको
तो निस्संदेह ……..हमने प्रेम नहीं किया
संजय नायक"शिल्प"