अकाल फिर पड़ेगा....
उमस इतनी की दम घुट जाए
जमूरा ~उस्ताद आज खेल नही दिखाना।
मदारी~(भारी मन से)नही आज उमस बहु ज्यादा है।
जमूरा~वजह क्या?
मदारी~ बरसात में बर्बाद किसानो को जो मदद के नाम पर 60 मिले हैं उसी की उमस है।
(मदारी की बात सुन सन्नाटा पसर गया था जमूरे मुंह से शब्द नही निकल रहे थे)
जमूरा~(लगभग चीखते हुए) उस्ताद! वह देखो कुछ किसान जिनके चेहरों पर मिट्टी की दरारे पड़ी है....और दर्द से चीखते हुए इधर ही अ रहे है
आवाज़े ~बनाओ घर खाओ मिटटी ......अब अकाल पड़ेगा
(धीरे धीरे आवाज़ शांत होती चली जाती है)
जमूरा - उस्ताद , लगता है वह फिर आ रहा है
मदारी - "वह"कौन ?
जमूरा - वही उस्ताद, वही जिसके आगे सब घुटने टेक देंगे जाति, धर्म के बंधन फेंक देंगे ।
मदारी - तू पागल हो गया है ,तेरा इलाज़ कराना पड़ेगा ऐसा कुछ नही होगा अफवाह मत फैला ।
जमूरा - अकाल आ रहा है सब बंधनो से मुक्त कटने सबके कष्ट हरने।
मदारी - कुछ ज्यादा ही बोल रहा है। जा सो जा..।
जमूरा - उस्ताद अब मशीने काम नही करेंगी जानवर घूमेगा बाहर,आदमी घर मे ..
(तभी एम्बुलेंस की आवाज़ आती है )
मदारी - यह आवाज कैसी साइरन की
जमूरा - उस्ताद पुलिस आ रही है ,आपको लेने आपका मुह बहुत बड़ा है भोंपू की जगह इस्तेमाल होगा।
मदारी - तू ऐसे नही सुधरेगा,अकाल में भी ठिठोली करता है ।
जमूरा - उस्ताद,सरकार भी तो ठिठोली करती है वेंटिलेटर की जगह हथियार खरीदती है ..
(तभी गाड़ी जमूरा मदारी के घर के पास से गाड़ी गुज़रती है और एनाउंस करती है)
आवाज़ - सभी लोग अपने घरों में ही रहे और हिंदी फिल्मों का आज से आनंद ले सभी समाचार चैनलों पर रोक लग गयी है सिर्फ दूरदर्शन ही चलेगा ..।
(एनाउंस होने के बाद दूरदर्शन की पुरानी धुन फिर से गूंजने लगती है )