यार वो लड़की बहुत उदास रहती है,
परंपराओं की धारा के साथ बहती है,
न जाने कितने गमों को दबाए है वो,
न जाने किस किस की बात सहती है,
कभी ख्वाहिशों को पंख नही लगाई,
अनकहे से मुझसे जज़्बात कहती है,
यूं तो अपनों के बीच रही आती है पर,
सच है भीतर से बहुत हताश रहती है,
अपने हिस्से की खुशियां लुटा देती है,
वह दर्द कि कीमती पोसाग पहनती है,