बड़ी फुर्सत में थे आज,
मैं, चाय और इतवार,
पुरानी अलमारी से,
बंद पड़े लिफाफे निकाले थे,
जिनमें तुम थी, तुम्हारी बातें थी,
तुम्हारी यादें थी और जो गुजर गया,
वो खूबसूरत लम्हा था,
जाने क्यों अचानक मुझे,
तुम्हारा सजना संवरना,
और खिलखिला कर हंसना याद आ गया,
बस फिर क्या था,
फिर एक इतवार,
तुम्हारी याद में गुजर गया.....
-MUKESH JHA