जहाँ डालियो पे सूरज उगता है
थालियों में चाँद चमकता है ;
सुबह की कोमल किरणो के संग
हररोज हिंदुस्तान उभरता है ।
जहाँ की नारी पे सिंदूर सजता है
खिले फूल के जैसे हर गाँव महकता है ;
पंछियो के मीठे कलरव के संग
हररोज हिंदुस्तान उभरता है ।
जहाँ हर महोल्ले में भाईचारा दिखता है
सागर और पहाड़ भी जैसे चहकता है ;
मुरली के मधुर तानों के संग
हररोज हिंदुस्तान उभरता है ।
🇮🇳 ।। जय हिंद ।। 🇮🇳
लेखक :- बादल सोलंकी
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