प्रेम
पढ़ा था बहुत प्रेम को पुस्तकों में
गया भूल सब तुमसे मिलने के बाद
नया था सिलेबस नयी थी कहानी
नहीं काम आया सबक था जो याद
लकीरों पे चलना नहीं प्रेम होता
नया हो फ़साना नयी हो कहानी
अर्पण हो तन मन समर्पित हो जीवन
रहे प्रेम पावन चढ़े हर ज़ुबानी
नयी हो चुनौती और मानक नये हों
नई भूमिका हो कथानक नये हों
तब प्रेम लिखता है नूतन कहानी
जो सदियों तलक़ गायी जाती ज़ुबानी
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