हर रोज जीने की ख्वाईश में मरी जा रही हु
कुछ अपने तो कुछ सपने छोड़े जा रही हू
जिन्दा हु सबको बताती जा रही हु
खुद ही खुद को समजाती जा रही हु
लोग उठा तो हजार सवाल रहे हैं मुजपे
एक हल्की सी मुस्कान से जवाब देती जा रही हु
गभराई हुई हु अंदर से बहुत
फिर भी सबको हिम्मत दिखा सी जा रही हु
समझ तो रहे हैं सब गलत यहा मुजे
खुद ही खुद की गलती मैं उलजाई हुई हु
-Krina