किसी का भी जीवन चुनौतियों से
रहित नहीं है. सबके जीवन में
सब कुछ ठीक नहीं होता.
▪सत्य क्या है और उचित क्या है?
ये हम अपनी आत्मा की आवाज़
से स्वयं निर्धारित करते हैं.
▪इस बात से *कोई फर्क नहीं पड़ता,*
कितनी बार हमारे साथ अन्याय होता है.
▪इस बात से *कोई फर्क नहीं पड़ता,*
कितनी बार हमारा अपमान होता है.
▪इस बात से भी *कोई फर्क नहीं पड़ता,*
कितनी बार हमारे अधिकारों का हनन
होता है.
*फ़र्क़ तो सिर्फ इस बात से पड़ता है*
*कि हम उन सबका सामना किस प्रकार कर्मज्ञान के साथ करते हैं.*
*कर्मज्ञान है तो ज़िन्दगी हर पल मौज़ है,*
*वरना समस्या तो सभी के साथ रोज है.*