आज पहली तारीख है
राशन आया, दादी की दवाई आई
मुन्नी की फ़ीस भरी, मुन्ने केलिए नई गाड़ी आई
बस अपने लिए बनयान नही ला पाए
पैरो में बहुत दर्द था फिर भी
पापा रिक्शे में घर नही आ पाए।
सारे घर के सपने अपनी आंखों में बोते हे पापा
मां बात बात पर सबके सामने रो देती हे,
पर खुशी हो या गम घर के किसी अकेले कोनेमे
छुपके रोते है पापा।
बच्चो के खाबो की जमीन है पापा
पूरे घरकी नीव है पापा
हर त्योहार, हर मौसम उनकी
ऑफिस में गुजरती है
बाप के अनगिनत बलिदानों से ही
बच्चों की किस्मत संवरती है।
- भूमिका "लिहाज"
Happy father's day 💗