# ईश्वर हम शर्मिंदा है इंसानियत मर गई,
इंसान अभि ज़िंदा है,
ईश्वर हम शर्मिंदा है इंसानियत मर गई,
इंसान अभि ज़िंदा है,
हर एक महानुभावों का यहाँ चल रहाँ गोरख धंधा है,
अन्नदाता को अन्न के बदले मिल रहा फाँसी का फंदा है,
पेट पालने को यहाँ मज़लूम औरतें कर रही जिस्म का धंधा है,
ईश्वर हम शर्मिंदा है इंसानियत मर गई,
इंसान अभि ज़िंदा है,
आँखो पे पट्टी की ज़रूरत क्या क़ानून तो वैसे भी अंधा है,
बलात्कार होना आम बात लेकिन उस पर बात करना गंदा है,
हाथ पर हाथ धर बेठे हैं और बातों से कर रहे निंदा है,
जो इसे ही कहते हैं इंसान होना तो माफ़ करना लेखक ये शर्मिंदा है,
ईश्वर हम शर्मिंदा है इंसानियत मर गई,
इंसान अभि ज़िंदा है,
⁃ ऋषिकेश त्रिवेदी,
⁃ IG _rishikesh11,