आज में स्तब्ध हुं,नि:शब्द हुं;
कहां जाऊ,क्या करु?ईसी असमंजस मे हुं।
क्युं, कैसे,कब हुआ यह सब,
इस प्रश्नोंके समंदर में हुं!
अब कभी नहीं देख पाउंगी आपको?
ईसी संभव असंभव में हुं।
किसे पूछु? कहां फरियाद करु?
क्यों नहीं हो तुम ? क्या मे कोइ स्वप्न में हुं?
इस दंगलको जीतना ज़रुरी न था "रोहित"!
ऐसे कई सवालों के दंगल में हुं।
कौन पूछेगा ताल ठोकके ,कौन करवाएगा दंगल?
यकीं करु या ना करु बहुत ही बेबसी मे हुं।
🙏🙏🙏 निमिका।