ए वक्त,तु ठहर क्यो नहीं गया?
नाही तुझे है शर्म,और नाही हया।
तु ले गया अपने साथ ऐसी हस्ती,
जीसे चाहें ये दुनिया,उनकी बेटियां,और पत्नी।
थोडा कम सितम गुजार इन्सानो पर,
क्या यही है तेरी मनषा थोडा तो लाज़मी कर।
इतना जुल्म न कर कि खो दे तुझसे भरोसा,
कहते हैं समय से बडा कोई बैद नहीं होता!
ए पल,ए वक्त,थोडी सांस ले ले रुककर तु भी;
थक नहीं गया इधर उधर दौडते हुए तु भी?
शायद तेरी आंखे हे बंध, बंधी पट्टी तु खोल,
समयबाबु, अब बहुत हुआ बंध करो ये झोल।
"रोहित"को तु छीन गया ,अधुरा छोड दंगल,
तु अब बंद करेगा इस मौतोका दंगल?
रोहित सरदाना को ह्रदयांजलि🙏🙏🙏