मुस्कुराती सी जिंदगी है ये
होठों के पीछे क्यों छिपाती हो तुम।
आधी आबादी होकर
वैशाखी पर क्यों खड़ी रहती हो तुम।
परिवार की बेड़ियां
खुद के पैरों में ही क्यों बांधती हो तुम।
मुस्कुराती सी जिंदगी है ये
होठों के पीछे क्यों छिपाती हो तुम।
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इन कुछ सवालों के जवाब
कभी खुद से ........….....
क्यों नहीं पूछती हो तुम।
Happy women's day
-amit sonu