मेरा जैसा यार दुबारा कहाँ से लाओगे,
मेरा जैसा प्यार दुबारा कहाँ से लाओगे।
हाँ बेशक तुम राही हो पल-दो-पल की,
वो कच्चे आलू, अब किसे खिलाओगे।
राहों में फूल हों, नभ से पैग़म्बर भी उतरें,
उन ख़ुशबू की ज्योति अब कहाँ जलाओगे।
तेरे नयें-नयें वो पायल के बादल से घुँघरू,
सुर-ताल-लय-छंद अब किसे सुनाओगे।
अजनबी राही पर कविता की श्याहि भरी,
ग़ुस्से वाला प्यारा लहजा किसे दिखाओगे।
Vinay Tiwari
From “धूल से धूप तक”