उसके सामने मैं वो सारी बातें भूल जाता हुँ,
उससे प्यार करता हुँ, कहना भूल जाता हुँ।
वो अलग बात हैं कि अब यें रास्ते अलग हैं,
उसके जन्मदिन पर ख़ुद की उम्र भूल जाता हुँ।
मिलना नहीं होता, बात करना नहीं होता उससे,
समोसे अच्छे बने हैं उसे यें कहना भूल जाता हुँ।
किताबों से सारी वो दास्ताँ शुरू हुई थी हमारी,
नयीं किताबें ख़रीदी हैं उसे दिखाना भूल जाता हुँ।
वो नहीं मगर उसका तस्सवूर ही अब बयाँ होगा,
मुझे बुखार थोड़ा हैं मगर अब दवाई भूल जाता हुँ।
Vinay Tiwari
From “धूल से धूप तक”