Hindi Quote in Blog by Rakesh Shukla

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शिव दौड़ते हुए यज्ञस्थल तक पहुँचे और सती का जला हुआ मृत शरीर, आलिंगन में भरकर फूट फूटकर रोने लगे! वहां उपस्थित सभी के नेत्रों में जल भर गए!

"मैंने तुम्हें कितना समझाया था प्रिय! केवल एक बात मेरी मान लेती!"

"हाय सती! तुम बिना मैं शिव, शव के समान हूँ!" कहते हुए शिव बस रोए जा रहे थे! न तो किसी में उन्हें समझाने का साहस था और ना ही किसी मे उन्हें मनाने का!

शिव रोते रहे! वे ईश्वर थे! सर्वज्ञानी! सर्वशक्तिमान!

किंतु जब प्रेम, विलग हुआ, वे फूटकर रोये! साधारण मनुष्यों की भांति विलाप किया!

और काम को जीत लेने वाले शिव को सती से इतना प्रेम हुआ कि वे उनकी मृत देह को लेकर तीनों लोकों और दसो दिशाओं में विचरण करने लगे!

सृष्टि चीत्कार कर उठी! पृथ्वी दहल उठी! सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, भयभीत हो उठे!

किंतु शिव... मानो, सती के साथ वे भी सती हो गए थे!

यह उन दोनों के प्रेम की चरम अवस्था थी! पराकाष्ठा थी!

हे शिव, मेरे शिव, जय शिवशिव... 🙏🙏

Hindi Blog by Rakesh Shukla : 111626960
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