अक्सर कुछ सोचती हुई पाई जाती हैं मांए
हां....अक्सर कुछ सोचती हुई पाई जाती है
क्या गलत और क्या है सही !!
वह गलत है जो मैंने सहा अब तक !!
या वह.. जो चाहती है उनकी बेटियां ना सहें
वह हर गलत बात , जिसे उन्होंने चुपचाप सहा
वह हर ताना... जिसे किया सुना अनसुना
वह हर सितम, जिसे अपनी किस्मत माना
ऐसे ही सिखाए अपनी बच्ची को गृहस्ती चलाना !!
यां सिखाएं उन्हें गलत के खिलाफ आवाज उठाना !!
पर फिर भी, सब कहां सिखा पाती हैं !!
कहां उसे भी पूरी आजादी दे पाती हैं !!
फिर हवाला दे रिश्तों, गृहस्थी का
घर की इज्जत बचाने का
उसे भी तो वही सब सहने को मजबूर कर जाती है
फिर सोचती क्या मैं गलत !! या मैं सही !!
बस अक्सर सोचती ही रहती है
हां ...अक्सर सोचती हुई पाई जाती है मांए..
#priyavachhani