शब्दों की तलाश में निकले हैं...
धूप में रोज,थोडा थोडा सिक रहे हैं...
चांद में छिपे मेरे जज्बात हैं...
बादलों में रोज, थोडा थोडा दिख रहे हैं..!
किताबों में कैद मेरे अल्फाज हैं..
दिलों में रोज,थोडा थोडा बिक रहे हैं...
न जाने कितनी अनकही बातें हैं...
शिद्दत से रोज, थोडा थोडा लिख रहे हैं...!!
-Pooja Bhardwaj