# विषय .बदलते लोग "
# कविता ***
जगत में ,कितने बदलते लोग ।
गाय पालने में ,शर्म करते लोग ।।
कुत्ते को पालने ,धुमाने में शान समझते लोग ।
धर का खाना नही सुहाता ,बाहर का खाना ,
बडे चाव से खाते लोग ।।
अपनी पत्नि को प्रेम नही करते ,अबला की ,
आबरु लुटते लोग ।
अपने संस्कार भुल चुके ,पाश्चात्य संस्कृति ,
अपनाने लगे लोग ।।
धोडे के बालों की फैशन करते ,अपना सलीका ,
भुल चूके है लोग ।
दुसरों की निंदा चाव से करते ,खुद को परखना ,
भुल चूके है लोग ।।
खुद तो नजरों में गिर रहे ,पर दुसरों को धूलधूसरित ,
करते है लोग ।
आदर करना तो भुल चूके ,पर दुसरों की हंसी ,
उडाते है लोग ।।
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