मेरे कुछ कहने का क्या मतलब,
तूने गर कुछ सुना नहीं,
उस रास्ते पर चलने का क्या सबब,
वो रास्ता गर खुद से चुना नहीं,
मेरे हामी भरने में क्या अदब,
तेरी गर उसमें रज़ा नहीं,
वो दरिया गर पर्वत को छोड़, निकला है सागर की ओर,
पर्वत के पास भी रोकने की फिर तो कोई वजह नहीं।
~ प्रणव