किसने कहा माँ आईं है नवरात्र में
वो तो बसती हर दिन हर रात में
माओं के जज़्बात में
पिता की हर बात में,
इंसानो की लकीरों में
बूढ़े थके फकीरों में
सावन की हरियाली में
त्योहारों की दियाली में
पहाड़ो की ऊँचाई में
समुन्दर की गहरायी में
काले घने अँधेरे में
सूरज के उजेरे में
बच्चे-बूढ़े, सब में माँ ही बसती है
जब वो मुस्काये, तो माँ ही तो हँसती है
चाहे हो महलन का वासी
या बूढ़ी दुखिया हो दासी
सब की अखियाँ तेरी प्यासी
नियम माँ का बड़ा निराला
न कोई छोटा, न कोई आला
#NAVRATRI
#Navratri
#kavyotsava