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Mita Dixit

Mita Dixit

@dixitmita39gmail.com8649


किसने कहा माँ आईं है नवरात्र में
वो तो बसती हर दिन हर रात में
माओं के जज़्बात में
पिता की हर बात में,
इंसानो की लकीरों में
बूढ़े थके फकीरों में
सावन की हरियाली में
त्योहारों की दियाली में
पहाड़ो की ऊँचाई में
समुन्दर की गहरायी में
काले घने अँधेरे में
सूरज के उजेरे में
बच्चे-बूढ़े, सब में माँ ही बसती है
जब वो मुस्काये, तो माँ ही तो हँसती है
चाहे हो महलन का वासी
या बूढ़ी दुखिया हो दासी
सब की अखियाँ तेरी प्यासी
नियम माँ का बड़ा निराला
न कोई छोटा, न कोई आला

#NAVRATRI
#Navratri
#kavyotsava

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कोण म्हणाली आई नवरात्रीत आली आहे
ती दररोज रात्री राहते
मातांच्या आत्म्यात
वडिलांकडून प्रत्येक गोष्टीत,
मानवी ओळीत
जुने थकलेले गूढ
वसंत .तू मध्ये
सणांच्या उत्सवात
पर्वतांच्या उंचीवर
समुद्रात खोल
गडद अंधारात
उन्हात
बाळ आणि म्हातारे, आई प्रत्येक गोष्टीत
जीवन जगतात
हसताना आई हसते
आपण महालनचे रहिवासी आहात की नाही
किंवा म्हातारी एक दासी आहे
प्रत्येकाच्या कथा तुमची तहानलेली असतात
शासनाची आई अद्वितीय
लहान किंवा कोनाडा देखील नाही

#Navratri

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दिल को इसी बात का तो कष्ट है
ख्याल उसके, मेरे लिए क्यों अस्पष्ट है?
#अस्पष्टता

दुनिया में दो प्रकार के ही लोग होते है।
एक शिकारी
दूसरा शिकार
निश्चय करे आप शिकार होते है या आप शिकार खेलते है।
#शिकार

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हम तो बेनक़ाब और बेहिज़ाब है
हम गुप्त रूप से खुली किताब है ।
#गुप्त

मन से किया हुआ काम भार को आसान बनाता है, तो वही बेमन किया गया काम आसान को भी भार बना देता है।
#भार

भोले थे जब हम बच्चे थे
माना थोड़े कच्चे थे
पर जैसे भी थे सच्चे थे।
#भोळे

फुर्सत ही नही है फुर्सत मिलने की।
#फुर्सत

आँखों में नमी है क्योंकि हर तरफ तेरी कमी है।
#कमी

आपण द्रुत आणि अवास्तव निर्णय घेतल्यास आपण अडचणीत येऊ शकता
you can get into trouble if you make quick and unrealistic decisions.
यदि आप त्वरित और अवास्तविक निर्णय लेते हैं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं

#तत्काल

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