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Sonu kumar

Sonu kumar

@sonukumar923106


कैसे पेड और सोशल मीडिया ने पाकिस्तान को अपना दुश्मन समझकर 15 करोड़ भारतीयों को बेवकूफ बनाया!

पाकिस्तान एक बेवकूफ देश है कोई प्रधानमंत्री 75 साल में 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, महात्मा सावरकर ने हिंदुओं से ब्रिटिश सेना में शामिल होने का आग्रह किया, जबकि महात्मा बोस ने क्रांतिकारी आईएनए का गठन किया।

इन सेनाओं में लड़ने वाले सैनिकों ने बाद में भारतीय नौसेना के विद्रोह में विद्रोह किया और भारत की आजादी में योगदान दिया।

विश्व युद्ध ने ब्रिटेन को कमजोर कर दिया था, इसलिए ईस्ट इंडिया कंपनी मालिकों ने ब्रिटिश वफादार कांग्रेस, नेहरू आदि को नियंत्रण देने का निर्णय लिया और पाकिस्तान बना दिया, चतुराई से कश्मीर मुद्दा लगाया ताकि भारत के प्रधानमंत्री को हमेशा नियंत्रण में रखे।

आपको बता दूं, भारत-पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं है! पाकिस्तान और आतंकवादी समूह अमेरिका-यूके की उच्च श्रेणी की गाजर और लकड़ी की नीति पर अडिग हैं।

ये चुनाव वर्ग खुफिया एजेंसी को आतंकी हमले करने और युद्ध शुरू करने का आदेश देता है।

जब युद्ध होते हैं, तब भारत कोई स्वदेशी हथियार नहीं बनाता है। हम सब कुछ आयात करते हैं। भले ही ये भारत में बना है, लेकिन इसके केवल 50% पार्ट्स भारत में बने हैं और इसके महत्वपूर्ण स्पेयरपार्ट्स अभी भी आयातित हैं। तो भारत के प्रधानमंत्री अपने बस में हैं। ये हथियार देते हैं बदले में भारत में फ्री जमीन फ्री मिनरल्स एफडीआई फार्मा बैंकिंग कंपनियां मिलती हैं। कारगिल में हम लेज़र गाइडेड मिसाइल्स के लिए फ्रांस पर निर्भर थे और फिर बीमा में FDI की स्वीकृति देनी पड़ी जो अब 100% है। इसके अलावा, युद्ध मतदाताओं का ध्यान आंतरिक समस्याओं और भ्रष्टाचार को दूर करके एलियंस द्वारा बनाई गई युद्ध की समस्या की ओर मुड़ रहा है। तो शासन की विफलताओं को छिपाने के लिए युद्ध एक अच्छा बहाना है। रूस और चीन पश्चिम के लिए एकमात्र शक्तिशाली प्रतिस्पर्धा है। रूस को नियंत्रित करने के लिए, उन्होंने यूक्रेनी समस्या पैदा की और यूक्रेन के कीमती खनिज का 50% लूट लिया और रूस को युद्ध में शामिल करके उसे कमजोर कर दिया। पिछले 60 वर्षों में उसने ईरान, इराक, लीबिया, सीरिया आदि सहित कई देशों के तेल और प्राकृतिक संसाधनों को लूटा है।

उन्होंने युद्ध में जाने के लिए मनाने के लिए पश्चिमी मतदाताओं पर भी हमला किया।

वे अब समझ गए कि चीन एक और खतरा है, लेकिन पश्चिमी मतदाता और सैनिक चीन के साथ युद्ध करने के लिए सहमत नहीं होंगे।

तो उन्हें एक ऊंट, एक प्यादा की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से उसने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का लोन भी दिया था।

चीन से युद्ध करने के लिए कोई भी भारतीय मतदाता सहमत नहीं होगा।

इसलिए उसने कई सालों पुरानी हिन्दू मुस्लिम बहस शुरू की और भारत में अपनी कठपुतलियों का इस्तेमाल करके भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी।

चीन को पाकिस्तान का साथ देना होगा, फिर पश्चिम भारत की मदद करने आएगा, और फिर हम भारत-पाकिस्तान-चीन युद्ध देखेंगे, और पश्चिम एक भी पश्चिमी सैनिक की बलि दिए बिना तीनो देशों को कमजोर करेगा।

इस समस्या का हल स्विट्जरलैंड जैसा होने वाला है।

युद्ध एक महंगा मामला है। कोई भी देश युद्ध में नहीं जाना चाहता। अगर वे जीत भी गए, तो उन्हें युद्ध में नुकसान का भुगतान करना होगा।

इसलिए वे अक्सर युद्ध के बाद खनिज लूटते हैं, अतिक्रमण भूमि और गुलामों को लूटते हैं।

लेकिन अगर सभी भारतीयों के घर में स्विस नागरिकों की तरह राइफलें और बंदूकें होती तो किसी भी देश के लिए 10 लाख सशस्त्र भारतीयों की गुलामी और आतंकित करना असंभव होता।

जब सभी नागरिकों के पास बंदूकें हैं, तो खनिज लूटने, जमीन लूटने या गुलामों को लूटने संभव नहीं होगा।

याद रखना सेना केवल हथियार जितनी अच्छी है, और मणिपुर के नागरिकों की रक्षा किसी ने नहीं की है। उन्हें सताया गया, मारा गया और भागने के लिए मजबूर किया गया।

भारत के कुर्ग जिले (कर्नाटक) में एक कानून है जो स्थानीय लोगों को बिना लाइसेंस के पंजीकृत हथियार खरीदने की अनुमति देता है। मैं कूर्ग के सभी 800 जिलों में बंदूक कानून पर जनमत संग्रह आयोजित करने का समर्थन करता हूं।

हिन्दू हो तो भगवान राम या कृष्ण जैसे बनो जो धर्म की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र चलाते थे।

या पेड मीडिया अक्सर एकता जैसे नारों से आपको मूर्ख बना कर आपके खनिज, जमीन लूटकर भारत-पाकिस्तान युद्ध जैसे झूठे चरित्र पैदा करके आपकी भावनाओं से खेलेगा।

भारत में 2021 में 7 लाख बच्चे मर गए जिनमें से लगभग 60% यानी 5 लाख कुपोषण भुखमरी से मर गए। दुर्घटना में 2 लाख लोगों की मौत, 3 लाख से अधिक लोगों ने आत्महत्या और कई लोगों की मौत भ्रष्टाचार से, संरचनात्मक सुविधाएं विफल।

एक बार जब हमारे पास बंदूकें होती हैं, तो हम किसी भी आतंकवादी हमले से मुक्त हो जाते हैं, और फिर हम हथियारों के स्थानीय उत्पादन में सुधार और भारत में टूटी हुई कानूनी प्रणाली, भ्रष्टाचार और गरीबी की समस्या को हल करने पर ध्यान

यह पोस्ट स्थिति सबूत के आधार पर लिखी गई है, समाधान के आधार पर चर्चा करने में प्रसन्नता होगी।

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अमेरिकी धनिको समेत पूरी दुनिया के धनिक अवाम (जनता) को हथियार विहीन रखना चाहते है, ताकि बैंको के शोषण और प्रतिगामी करो के चलते पनपते असंतोष को बलवे में बदलने से रोका जा सके। इसीलिए धनिक वर्ग पेड मीडिया को नागरिकों के पास हथियार होने के नकारत्मक पहलुओं को 100 गुना ज्यादा उभारकर दिखाने और सकारात्मक पक्ष को न दिखाने के लिए भुगतान करता है।
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सभी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स होते है। यदि कोई व्यक्ति दवाइयों के सिर्फ नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करे और उसके सेवन से होने वाले फायदों को छुपा ले तो सभी दवाइया जहर दिखने लगेगी। कोई व्यक्ति उर्वरकों से भी बम बना सकता है। तो क्या उर्वरकों को भी प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए ? यदि कोई चाहे तो खनन में काम आने वाले विस्फोटकों से किसी शहर को उड़ा सकता है। तो क्या हम खनन में उपयोग किये जा रहे विस्फोटकों को भी बेन करेंगे ? सूची बेहद लम्बी की जा सकती है
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नागरिकों को हथियार रखने की अनुमति देने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आजादी और आत्मनिर्भरता प्रदान करता है !!! जी हाँ , यूरोप में कथित आजादी तब आनी प्रारभ हुयी जब 900 ईस्वी में इस्लामिक आक्रमणों से बचने के लिए राजाओ और पादरियों ने आम नागरिकों को हथियार रखने की छूट देने का निर्णय किया। हालांकि अन्य कारण भी मौजूद थे --- जैसे कि ज्यूरी प्रक्रियाएं, जो कि 950 ईस्वी में शुरू हो चुकी थी। लेकिन यह भी सत्य है की हथियारबंद नागरिक समाज के कारण ही राजा ज्यूरी सिस्टम लागू करने के लिए बाध्य हुआ था।
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तब राजा, पादरी और उनके अधिकारी पूरी तरह उद्दण्ड और निरंकुश थे। लेकिन उनके लिए सब कुछ अच्छा चल रहा था, क्योंकि नागरिक समाज हथियार विहीन था। लेकिन इस्लामिक आतताइयों से मुकाबला करने के लिए राजा को ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को हथियार रखने के लिए प्रेरित करना पड़ा। और इस तरह नागरिकों ने प्राप्त हथियारों का इस्तेमाल उन अधिकारियों और पादरियों के खिलाफ भी करना शुरू कर दिया जो अवाम के साथ दुर्व्यवहार करते थे। अत: अधिकारियों को नियंत्रित करने के लिए राजा को 950 ईस्वी में कथित कोरोनर ज्यूरी के कानून को लागू करना पड़ा, और इसी कारण बाद में राजा मैग्नाकार्टा पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य हुआ जिससे सभी प्रकार के मुकदमों की सुनवाई का अधिकार नागरिकों की ज्यूरी को देने की व्यवस्था लागू हुयी। और यह सब होने के बाद ही आजादी आयी व औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ। ये सब घटनाएं न घटती, यदि नागरिकों के पास हथियार नहीं होते।
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अब 600 ईस्वी से 1700 ईस्वी तक के भारत और यूरोप की तुलना कीजिए। भारत के राजाओ और महन्तो ने नागरिकों को हथियार रखने की अनुमति देने से इंकार कर दिया, जिससे इस्लामी आक्रमणकारियों ने पहले अफगानिस्तान जीता, फिर पाकिस्तान पर कब्जा किया और अंत में पूरे भारत को ही अपने नियंत्रण में ले लिया। इस परिस्थिति में आंशिक सुधार सिर्फ तब आया जब वीर शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह जी ने नागरिकों को हथियारबंद करना आरम्भ किया। असल में गुरु गोविंद सिंह जी ने इस क्षेत्र में शिवाजी से भी बेहतर काम किया, क्योंकि उन्होंने हथियार रखने को एक धार्मिक कर्तव्य में तब्दील कर दिया था। और इसीलिए सिक्ख मराठाओ की तुलना में इस्लामी आतताइयों का ज्यादा बेहतर ढंग से प्रतिरोध कर सके। यदि वीर शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह जी ने नागरिकों को हथियार बंद नहीं किया होता तो 1700 ईस्वी में पूरे भारत पर मुगलो का पूर्ण नियंत्रण हो चुका होता।
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दूसरे शब्दों में 900 ईस्वी में यदि नागरिक हथियार विहीन रहे होते तो इस्लामिक आक्रमणकारी "पूरे यूरोप" पर कब्जा कर लेते। नागरिकों के पास हथियार होना ही एक मात्र कारण था जिसके चलते यूरोप इस्लामिक आक्रमणकारियों द्वारा अधिग्रहित होने से बच सका।
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यह कहने की बात नहीं है कि, पेड इतिहासकार, पेड राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर आदि ने इतिहास के छात्रों को यह जानकारी कभी नहीं दी, और न ही वे ये सूचना कभी नागरिकों को देंगे। क्यों ? क्योंकि धनिक वर्ग उनसे यह सब न बताने को कहता आया है।
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अमेरिका तथा पूरी दुनिया के धनिक पूरी दुनिया के आम नागरिकों का उत्पीड़न कर प्रतिगामी करो के माध्यम से उनके हक के खनिज, सरकारी भूमि आदि पर नियंत्रण बनाए रखना चाहते है। और अब शोषण के लिए उनके पास नया हथियार है -- बैंक। ऐसे तरीकों का प्रयोग करने से हमेशा ही नागरिक विद्रोह व बलवे का खतरा बना रहता है ( कृपया "Whiskey Rebellion in USA" पर गूगल करे। इस प्रकरण में नागरिकों ने दर्जनों कर अधिकारियों को मार दिया था, क्योंकि वे शराब पर प्रतिगामी उत्पाद शुल्क वसूलने की कोशिश में थे )। हथियार युक्त नागरिक धनिक वर्ग को पीछे हटने पर मजबूर कर देते है। और ईसीलिए अमेरिकी धनिक वहां के निवासियों को हथियार विहीन करना चाहते है।
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सभी पेड मीडियाकर्मी धनिक वर्ग के पालतू कुत्ते है। धनिक वर्ग इनके आगे बोटियाँ डालता है और मीडिया कर्मी इनके आदेशों का पालन करते है। यही स्थिति पेड इतिहासकारो, पेड राजीनीति शास्त्रियों आदि की है। ये सभी धनिक वर्ग के सहारे है इसीलिए नागरिकों को हथियारों के सिर्फ नकारात्मक पहलुओं की जानकारी देते है तथा सकारात्मक पक्ष पर खामोशी बनाए रखते है। साथ ही वे यह भी सुनिश्चित करते है कि नकारात्मक पहलुओं को 100 गुना बढ़ाकर दिखाया जाए।
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यहां तक कि आज भी अमेरिका के नागरिकों के पास बन्दुके होने से हजारो नागरिकों की जान बचती है। क्योंकि नागरिकों के पास हथियार होने से अपराधी उनसे दूरी बनाए रखते है। लेकिन पेड मीडिया इस बारे में कभी चर्चा नहीं करता कि नागरिकों के पास बन्दुके होने से हर साल कितने नागरिकों की जान बचाई जा सकी है।
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जहां तक हाल ही में एक अफगानी द्वारा 50 समलैंगिकों की हत्या का मामला है --- इस हत्याकांड की असली वजह बन्दूको का होना नहीं है, बल्कि इसकी जड़ में वह नीति है जिसके तहत अमेरिका/ब्रिटेन उनके देशों में पाकिस्तानी, अफगानिस्तानी आप्रवासियों को प्रवेश दे रहे है। अमेरिका में भारत के लाखो आप्रवासी है, जो समलैंगिकों को नापसंद करते है। लेकिन उनमे से कितने भारतीय उन पर गोलियां बरसायेंगे ? एक भी नहीं !! वे उनसे दूरी बना लेंगे। दूसरे शब्दों में समस्या पाकिस्तान, अफगानिस्तान से आ रहे आप्रवासी है, न कि बन्दुके। इसके अलावा इस्लामिक प्रवृति भी एक कारण है -- लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ऐसी प्रवृति के लोग इफरात में पाए जाते है, जो इस सिद्धांत में मानते है कि, "मैं उन लोगो को मार दूंगा, जो मुझे पसंद नहीं है"। उनके दिमाग में यह बात घुसती ही नहीं है कि, यदि तुम्हे कोई व्यक्ति पसंद नहीं है तो मारने की जगह उससे दूरी बना लो।
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जो ये कहते है कि, "बन्दूको पर प्रतिबंध लगा दो, क्योंकि एक आदमी ने 50 व्यक्तियों की हत्या कर दी है", वे अवश्य ही यह भी कहेंगे कि, "सभी व्यक्तियों के हाथ काट दो, क्योंकि लोग अपनी बीवियों को पीटते है" !!! वे इस प्रकार की गफलत इसीलिए खड़ी कर पाते है क्योंकि पेड मीडिया तस्वीर का सिर्फ एक रूख ही नागरिकों के सामने रखता है, ताकि अवाम को हथियार विहीन रखा जा सके।
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समाधान ?
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अमेरिका के कार्यकर्ताओ को अपने देश की समस्या का समाधान स्वंय ढूढ़ना चाहिए।
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जहां तक भारत की बात है, मैं सभी कार्यकर्ताओ से आग्रह करूंगा कि वे कांग्रेस/बीजेपी/आप/संघ और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के कार्यकर्ताओ का विरोध करें, क्योंकि ये सभी लोग भारत के नागरिकों को हथियार रखने की अनुमति देने का विरोध कर रहे है !!! हाँ, संघ के सभी कार्यकर्ताओ ने भारतीयों को हथियारबंद करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। संघ आज से नहीं बल्कि अंग्रेजो के जमाने से ही नागरिकों को हथियार देने का कट्टर विरोधी रहा है। उनका मानना है कि हथियारों की जगह भारतीयों को लाठी चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। वाजपेयी और मोदी साहेब ने भी भारतीयों को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देने का कानून पास करने से मना कर दिया। रूस और चीन के कम्युनिस्टों ने नागरिकों को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देने का समर्थन किया लेकिन उन्हें बंदूक रखने की इजाजत देने से इंकार कर दिया। लेकिन भारत के कम्युनिस्ट रूस व चीन के कम्युनिस्टों से भी आला दर्जे के है। भारत के मार्क्सवादियों यानि कि सीपीएम ने हमेशा से ही नागरिकों को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देने का विरोध किया।
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भारत में राईट टू रिकॉल पार्टी एक मात्र राजनैतिक पार्टी है जिसने नागरिकों को हथियार रखने की छूट देने तथा निर्दिष्ट नियमों के तहत हथियार रखने की अनिवार्यता के कानून का समर्थन किया है, तथा इसके लिए कानूनी ड्राफ्ट की प्रक्रिया भी दी है। इसीलिए मेरा कार्यकर्ताओ से आग्रह है कि वे कांग्रेस/बीजेपी/आम पार्टी का पीछा छोड़ दें और राईट टू रिकॉल पार्टी के एजेंडे पर कार्य करें। शेष सभी राजनैतिक पार्टियां और समूह नागरिकों को हथियार विहीन ही रखना चाहती है। साथ ही हमारा आग्रह है कि भारत के नागरिकों तक यह जानकारी भी पहुंचाए कि हथियारबंद नागरिक समाज के फायदे नुकसान की तुलना में कहीं ज्यादा है।
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अमेरिका चीन को तोड़ने के लिए भारत का इस्तेमाल ऊंट की तरह करेगा।
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समाधान - यदि भारत के नागरिक बन्दुक रखने के क़ानून की मांग करना शुरू कर देते है और यदि यह मांग बढ़ती जाती है तो अमेरिका को अपने कदम पीछे लेने पड़ सकते है। बंदूक रखने की अनुमति लेने के लिए जिला कलेक्टर को दिए जाने वाले प्रार्थना पत्र का फॉर्मेट निचे दिया गया है। आप इसका प्रिंट आउट ले सकते है।
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*"सेना, पुलिस (सरकार) नागरिकों की रक्षा करेगी" — यह आज के दौर का सबसे बड़ा राजनीतिक अंधविश्वास है, जिसे प्रायोजित मीडिया के माध्यम से आम जनता के मन में भरा गया है।*

*इस अंधविश्वास को तोड़ने के लिए कुछ उदाहरण जो आपकी आँखें खोल देंगे:*

1. #कश्मीर , #मणिपुर , #बंगाल , #सिंध , #पश्चिम_पंजाब , #NWFP जैसे क्षेत्रों और वहां कै लोगों को खोना (कैस्पियन सागर से लेकर फिलीपींस तक फैले भूभाग)।

2. मणिपुर में आज की सरकारी (सेना व पुलिस दोनों) निष्क्रियता और 1990 के दशक में कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के समय सरकार का मूकदर्शक बने रहना।

3. 1940 के दशक में अमेरिका में महामंदी के दौरान वहाँ की सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाएँ चलाई गईं, जबकि भारत में ब्रिटिशों द्वारा कृत्रिम अकाल पैदा करके बंगाल में 55 लाख से अधिक भारतीयों की हत्या — क्योंकि हमारी जनता अमेरिकी नागरिकों की तरह हथियारबंद नहीं थी।

4. हैदराबाद रियासत में “ऑपरेशन पोलो” के बाद भारतीय सेना ने उन कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं को ही मार डाला जिन्होंने वहाँ के हिंदुओं को निज़ाम के अत्याचार से बचाया था।

5. ब्रिटिश भारतीय सैनिकों ने आज़ाद हिंद फौज व क्रांतिकारियों पर हमले किए और हमारे शत्रु ब्रिटिश शासन का साथ दिया।

6. अमेरिकी संविधान के दूसरे संशोधन के तहत नागरिकों को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि सरकार उनके विरुद्ध हो जाए, तो वे आत्मरक्षा हेतु हथियार रख सकें।

7. द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर ने कभी भी स्विट्ज़रलैंड पर हमला नहीं किया...

दुनिया की सभी सच्ची क्रांतियाँ... मानव इतिहास में ऐसे अनगिनत उदाहरण मौजूद हैं।

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*Army, police ( Government ) will save citizens is the biggest political superstition in existence today OR inserted in the minds of the commons through Paid media.* *Some of the examples which will enlighten you against this superstition* - (1) Loss of land & people of #Kashmir #Manipur #Bengal #Sindh #West_Punjab #NWFP ( from Caspian sea to Phillipines literally)
(2) Inaction of Government(both Army & Police) in Manipur now and Kashmir during Kashmiri Hindu genocide 1990s.
(3) 1940s - Welfare schemes by US elitemen in USA during Great Depression Vs 55 lakh+++ murder of Bhartiyas due to artificial famine created by Britishers in Bengal, as our population wasn’t armed as US citizens were.
(4) Indian Army killed all communist workers who saved Hindus in Nizam occupied Hyderabad state after “Operation Polo” .
(5) British Indian soldiers attacked Azad Hind Fauj / Revolutionaries and helped Britishers our enemy.
(6) The Second Amendment of the U.S. Constitution empowers citizens to bear arms as a safeguard in case the Government turns against them.
(7) Hitler never invaded Swtizerland in WWII..............there are countless such examples in the history of Mankind RRPIndia.in "> RRPIndia.in

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भक्ति योग सीखने के लिए आपको अपने मन, हृदय और आत्मा को ईश्वर या किसी दिव्य शक्ति की ओर समर्पित करना होता है। यह योग का मार्ग प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण पर आधारित है। इसे सीखने के लिए आप नीचे दिए गए कदमों का पालन कर सकते हैं:

1. ईश्वर या इष्ट देवता का चयन करें
2. किसी एक रूप या नाम के माध्यम से ईश्वर की आराधना करना भक्ति योग का मूल है। आप कृष्ण, राम, शिव, देवी या किसी भी रूप को अपना इष्ट बना सकते हैं।
2. नाम जप और कीर्तन करें
3. रोजाना ईश्वर का नाम जप (जैसे "ॐ नमः शिवाय", "हरे कृष्ण") और भजन/कीर्तन करना मन को शुद्ध करता है और भक्ति को गहरा करता है।

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