Hindi Quote in Song by कल्पना मनोरमा

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पिता पेड़ की वह फुनगी हैं
जिसको हमने छू न पाया ।।

झुक आते हैं सूरज-चन्दा
नम नदिया के शीतल जल पर
लेकिन पिता नहीं झुक पाते
ममता के गीले इस्थल पर

आकाशी गंगा के वासी
पता नहीं उनका मिल पाया ।।

चट्टानें भी ढह जातीं जब
उग आती है उन पर धनिया
उनका मन हीरे का टुकड़ा
बुद्धि बनी है चालू बनिया

रही पूजती खामोशी को
फिर भी दर्शन हो ना पाया ।।

मेरे भीतर हैं वे हर पल
फिर भी उनको ढूंढ न पाई
कौन घड़ी में विधना तूने
उनके भीतर भीत उठाई

अभिभूत है जीवन मेरा
उसने पाया,उनका साया ।।

-कल्पना मनोरमा
8.10.2020

Hindi Song by कल्पना मनोरमा : 111588365
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