जगत में जन्मा जीव जीवनभर जश्न मनाते कब जीया?
जीव ने जगत में जनम रोने के साथ ही लिया।
जो जन्मा है जीवन जहर का एक घूँट सभी ने पिया ।
आना और जाना चल रहा शाश्वत सिलसिला।
मत सोचो हमें-तुम्हें यहाँ आकर क्या मिला?
कौन भला जीव है जो जिसने दुःख नहीं झेला?
जीवन जंग में जीव जद्दोजहद करता अकेला।
मद, माया, मोह, मत्सर ने मनचाहा दाव खेला।
चारों ओर चोरों का जोर शोर, जग लुटेरों का मेला।
बेफिकर हो जीवन जी ले समझ यही है उचित बेला।
-दीपेश कामडी 'अनीस'