ग़ज़ल
अगर नफरत हो आपस में, तो फिर कंगाल है दुनिया।
मुहोब्बत है तो फिर क्या, फिर तो मालामाल है दुनिया।
बहुत जल्दी सुनो! धरती पे, फिर जन्मेंगें दशरथ वंश।
रावण राज से रावण, परेशाँ हाल है दुनिया।
वो जिस पर चढ़ते चढ़ते, लोग अक्सर गिरने लगते हैं।
सुनो ए जाँनशीं, वो जानलेवा ढ़ाल है दुनिया।
तू रब दे वास्ते सच्चाई दे रस्ते नू निकला है।
ओ यारा, गल ना करना तू ,के तोड्डे नाल है दुनिया।
जवानी में खुला, ये नर्क है , तो आंख भर आईं।
मियां बचपन में लगता था के नैनीताल है दुनिया।
हजारों साल से इन्सान, जिसमें फँसते आये है।
अमाँ ! ज्ञानेश्वर आनन्द ऐसा ज़ाल है दुनिया।।
ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनन्द ज्ञानेश किरतपुरी
राजस्व एवं कर निरीक्षक
स्वरचित ग़ज़ल