#क़ाफिया ➖ #आकर
# रदीफ ➖ # देख लेते तो अच्छा था।
#विधा ➖ #पद्य_ग़ज़ल
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फऊलुन
१२२२ १२२२ १२२२ १२२
ग़ज़ल
मुझे अपना बनाकर, देख लेते तो अच्छा था।
प्यार दिल में सजाकर, देख लेते तो अच्छा था।।
खुलूसे मोहब्बत में दीदारे तलब है लेकिन ।
मुझे तुम आजमाकर देख लेते तो अच्छा था।।
कहां तुम्हें फुर्सत किसी का ख्याल दिल में लाएं।
ख़यालों में हमारे आकर देख लेते तो अच्छा था।।
सितम दिल पे जो ढाया है तुम्हें ये क्या मालुम।
सितम खुद पर भी ढाकर देख लेते तो अच्छा था।
दिलों में राज़ छूपाने से कुछ नहीं होगा।
हमें हमराज़ बनाकर देख लेते तो अच्छा था।।
हमारे बीच में "ज्ञानेश" कैसे बढ़ गई है ये दूरियां।
ग़लतफ़हमी मिटाकर देख लेते तो अच्छा था।।
ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" किरतपुरी
राजस्व एवं कर निरीक्षक
स्वरचित एवं मौलिक रचना के
समस्त अधिकार मेरे पास सुरक्षित हैं।